लेखक: अनन्या शर्मा, FrontlineNews.in
महाराष्ट्र चुनाव परिणामों ने राजनीतिक गलियारों में एक नई बहस छेड़ दी है। शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे गुट) की सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने इन नतीजों पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि ये परिणाम न केवल चौंकाने वाले हैं, बल्कि कई गंभीर सवाल भी खड़े करते हैं।
प्रियंका चतुर्वेदी ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा, “लोकसभा चुनावों में 151 विधानसभा सीटों पर हमारी लीड थी, लेकिन अब ऐसा क्या हुआ कि यह संख्या इतनी घट गई? यह नतीजे सवाल खड़े करते हैं और आश्चर्यजनक भी हैं। महाविकास अघाड़ी को लेकर जो सर्वे थे, वे कांटे की टक्कर दिखा रहे थे, लेकिन यह नतीजे सर्वेक्षणों के विपरीत हैं।“
ईवीएम पर सवाल और जनता की राय
प्रियंका चतुर्वेदी ने ईवीएम (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) को लेकर भी शंका व्यक्त की। उन्होंने कहा कि चुनाव प्रचार के दौरान कई मतदाताओं ने उनसे ईवीएम पर ध्यान देने की बात कही थी। उन्होंने कहा, “जहां-जहां मैं गई, लोगों ने कहा कि वोट तो हम आपको देंगे, लेकिन ईवीएम पर ध्यान दीजिएगा। इस तरह का बड़ा बदलाव लोकसभा से विधानसभा तक क्यों हुआ? क्या यह चुनाव वाकई फ्री और फेयर थे?”
उनके मुताबिक, पहली बार नहीं बल्कि बार-बार ईवीएम की विश्वसनीयता पर सवाल उठ रहे हैं, और अब इस पर व्यापक चर्चा और जांच की जरूरत है।
मुख्यमंत्री की दौड़ और महाराष्ट्र का भविष्य
जब उनसे पूछा गया कि महाराष्ट्र का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा, तो उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र को संभालना बड़ी जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा, “हमने देखा है कि हाल के वर्षों में राजनीति में तोड़फोड़, पैसे का खेल और सत्ता की लूटमार हुई है, जो महाराष्ट्र की संस्कार और संस्कृति के खिलाफ है। अब जो भी मुख्यमंत्री बने, उसका काम राज्य को एकजुट करना और ‘हीलिंग टच’ देना होना चाहिए।“
प्रियंका चतुर्वेदी ने महाराष्ट्र में मौजूद सामाजिक और सांप्रदायिक दरारों का जिक्र करते हुए कहा कि मराठा बनाम ओबीसी, धनगर बनाम अन्य समुदायों और हिंदू-मुसलमानों के बीच बने तनावों को दूर करना नई सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए।
नतीजों से उत्पन्न सवाल और महाविकास अघाड़ी का भविष्य
प्रियंका चतुर्वेदी का यह बयान इस ओर इशारा करता है कि महाराष्ट्र में न केवल गठबंधन की रणनीति, बल्कि चुनावी प्रक्रिया और ईवीएम की पारदर्शिता पर भी गहराई से विचार करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा, “हमने प्रचार के दौरान जनता के आक्रोश को देखा था, लेकिन यह वोटों में तब्दील क्यों नहीं हुआ? यह सवाल मन में है और इसे स्वीकार करना अभी मुश्किल हो रहा है।”
निष्कर्ष:
महाराष्ट्र के चुनाव परिणाम न केवल महाविकास अघाड़ी के लिए, बल्कि पूरे राज्य की राजनीति के लिए आत्ममंथन का विषय हैं। प्रियंका चतुर्वेदी ने अपने बयान के जरिए स्पष्ट किया कि आगे की राजनीति पारदर्शिता, जवाबदेही और राज्य की एकता पर केंद्रित होनी चाहिए।
अनन्या शर्मा, frontlinenews.in के लिए।