सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में हाल ही में एक याचिका दायर की गई थी जिसमें कि पुराने भारतीय 1,000 रुपये (Indian Rupee) और 500 रुपये को फिर से एक वापस से चलन में लाने को कहा गया है। हालांकि कोर्ट ने इन याचिकाओं पर किसी भी तरह की सुनवाई करने से मंगलवार को बिल्कुल साफ तरीके से इनकार कर दिया। जस्टिस बी. आर. गवई और विक्रम नाथ की पीठ ने पर, याचिका कर्ताओं को सरकार को एक अभ्यावेदन देने की मंजूरी दे दी है।
पीठ ने उसके बाद कहा कि, संविधान पीठ के फैसले के बाद उनको ये नहीं लगता है कि उनके लिए। इस्तेमाल से खत्म हो चुके इन पुराने भारतीय नोटों को वापस से एक बार चलन में लाने को अनुमति देने के लिए। अलग-अलग मामलों में संविधान के अनुच्छेद 142 के अनुसार उनके न्यायाधिकार क्षेत्र का उपयोग करने की अनुमति दी जाएगी। और अगर कोई याचिकाकर्ता भारत सरकार की किसी भी प्रकार की कोई कार्रवाई से संतुष्ट नहीं रहता है।
तो उसे किसी भी उच्च न्यायालय का रास्ता अपनाने की पूरी छूट दी जाएगी। और तो और आपको बता दें कि भारतीय शीर्ष न्यायालय ने इस बहुमत से दिए हुए उनके फैसले में। भारत सरकार के 1,000 रुपये और 500 रुपये के सभी नोटों को उपयोग से बाहर करने के 2016 के निर्णय को जारी रखा था। पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने जानकारी दी थी कि केंद्र सरकार की निर्णय करने की प्रक्रिया में गलती नहीं हो सकती।
और ऐसा क्योंकि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) और केंद्र सरकार की ओर से पूरा सोच विचार किया गया था। कोर्ट ने बताया था कि नोटबंदी के फैसले का निर्णय देने वाली आठ नवंबर 2016 की अधिसूचना को अनुचित नहीं कहा जा सकता। और इसे निर्णय लेने की प्रक्रिया के आधार पर बिल्कुल भी रद्द नहीं करा जा सकता है।